वैसे तो बाहर से देखने पर सभी सोलर पैनल्स एक ही तरह के दिखाई देते हैं लेकिन जब आप इन्हें बिल्कुल ध्यान से देखेंगे और समझेंगे तब आपको पता चलेगा कि यह सोलर पैनल्स न केवल अलग-अलग रंग के हैं, बल्कि उनकी क्षमताएं भी एक दूसरे से काफी अलग हैं।
आजकल मार्केट में कई तरह के सोलर पैनल मौजूद हैं लेकिन मोनो क्रिस्टलाइन, पॉली क्रिस्टलाइन और थीन फिल्म सोलर पैनल्स सबसे ज्यादा चर्चा में रहते हैं। यह तीनों ही सोलर पैनल एक दूसरे से कीमत, कार्य क्षमता और उपयोगिता में अलग-अलग होते हैं।
मोनो क्रिस्टलाइन सोलर पैनल्स की कार्य क्षमता ज्यादा होती है इसलिए मार्केट में इनकी कीमत भी बहुत ज्यादा रहती है जबकि पॉली क्रिस्टलाइन सोलर पैनल्स अच्छी कार्य क्षमता के साथ-साथ कम दाम में उपलब्ध हैं इसीलिए इनकी उपयोगिता बढ़ जाती है।
पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल का इस्तेमाल बड़े सोलर प्रोजेक्ट्स में किया जाता है, क्योंकि यह बेहतरीन कार्य क्षमता के साथ-साथ किफायती भी होते है। आजकल मार्केट में पॉली क्रिस्टल लाइन सोलर पैनल्स की मांग और बिक्री सबसे ज्यादा है।
इसलिए आज हम आपको विस्तार से पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल्स के बारे में बताने वाले हैं ताकि आप सभी को पता चल सके कि पॉली क्रिस्टलाइन सोलर पैनल्स क्या है? साथी साथ हम इन पॉली क्रिस्टलाइन सोलर पैनल्स से होने वाले फायदे और नुकसान के बारे में भी बताएंगे।
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पॉली क्रिस्टलाइन सोलर पैनल क्या है?
पॉली क्रिस्टलाइन सोलर पैनल्स मल्टी क्रिस्टलाइन सोलर पैनल्स कहे जाते हैं क्योंकि इनका निर्माण मल्टी क्रिस्टल सोलर सेल से किया जाता है। मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल की तरह पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल भी सिलिकॉन द्वारा ही बनाए जाते हैं, लेकिन अंतर बस इतना होता है कि इस तरह का सोलर पैनल सिलिकॉन क्रिस्टल को तोड़कर बनाया जाता है जिससे उनकी शुद्धता चली जाती है।
मल्टी क्रिस्टलाइन सिलिकॉन इस्तेमाल होने के कारण इनकी उत्पादन क्षमता मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल्स की अपेक्षा कम हो जाती है, क्योंकि मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल्स में शुद्ध सिंगल क्रिस्टल सिलिकॉन का प्रयोग होता है। लेकिन मल्टी क्रिस्टलाइन सिलिकॉन का इस्तेमाल होने के कारण पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल की लागत कम आती है जिसकी वजह से यह कम दाम में बाजार में उपलब्ध होते हैं।
पॉली क्रिस्टलाइन सोलर पैनल्स को नीले रंग का बनाया जाता है। इनका किनारा चौकोर होता है, इसलिए यह मोनो क्रिस्टलाइन सोलर पैनल्स की अपेक्षाकृत ज्यादा जगह लेते हैं, जबकि मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल्स का किनारा गोल होता है।
पॉली क्रिस्टलाइन सोलर पैनल्स में सिलिकॉन के ज्यादा टुकड़े होने के कारण इलेक्ट्रॉन प्रवाह के लिए कम जगह मिलती है, यही कारण है कि इन सोलर पैनल्स की दक्षता काम हो जाती है।
पॉली क्रिस्टलाइन सोलर पैनल्स के फीचर्स
पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल्स की एफिशिएंसी अर्थात दक्षता 13% से 17% तक होती है। यह कम दाम पर इस दक्षता के साथ मिलने वाले लोकप्रिय पैनल हैं।
पॉली क्रिस्टलाइन सोलर पैनल्स का किनारा चौकोर होता है और यह नीले रंग के होते हैं। यह सोलर पैनल्स अधिक सूर्य प्रकाश वाले क्षेत्र में इस्तेमाल किए जाते हैं।
पॉली क्रिस्टलाइन सोलर पैनल्स के फायदे
पॉली क्रिस्टलाइन सोलर पैनल्स का इस्तेमाल बड़ी छत वाली व्यवसाय की इमारतों पर किया जाता है। यह सोलर पैनल्स प्रायः बड़े प्रोजेक्ट में इसलिए इस्तेमाल किए जाते हैं क्योंकि इनका दाम कम होता है।
पॉली क्रिस्टलाइन सोलर पैनल बनाने में सिलिकॉन की बर्बादी नहीं होती क्योंकि मोनो क्रिस्टलाइन सोलर पैनल की तरह इनका किनारा काटकर गोल नहीं बनाया जाता बल्कि यह चौकोर ही होते हैं।
पॉली क्रिस्टलाइन सोलर पैनल्स की सबसे खास बात यह है कि मोनोक्रिस्टलाइन और अन्य सोलर पैनल्स की तुलना में बहुत ज्यादा किफायती होते हैं इसलिए कम बजट वाले व्यवसायी इसे प्राथमिकता देते हैं।
अगर मोनो क्रिस्टलाइन सोलर पैनल्स को छोड़ दिया जाए तो पॉली क्रिस्टलाइन सोलर पैनल्स अन्य सभी सोलर पैनल के मुकाबले कम दाम में ज्यादा ऊर्जा उत्पादन देता है।
पॉली क्रिस्टलाइन सोलर पैनल के नुकसान
पॉली क्रिस्टलाइन सोलर पैनल्स का रंग नीला होता है। गाढ़ा रंग न होने के कारण यह पैनल दिखने में थोड़ा कम आकर्षक होते हैं।
पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल भले ही किफायती होते हैं लेकिन ऊर्जा के मामले में इनकी उत्पादन क्षमता मोनो क्रिस्टलाइन सोलर पैनल से कम होती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सिलिकॉन टुकड़ों से बने होने के कारण इन सोलर पैनल्स में इलेक्ट्रॉन बहाव के लिए बहुत कम जगह बस्ती है जिससे इनकी दक्षता काम हो जाती है।
पॉली क्रिस्टलाइन सोलर पैनल्स में ऊष्मा की प्रतिरोधक क्षमता नहीं होती जिसकी वजह से तापमान बढ़ने की स्थिति में इनकी दक्षता काम हो जाती है। शायद यह भी एक कारण हो सकता है जिसकी वजह से इन सोलर पैनल्स का क्षरण काफी जल्दी होने लगता है।
पॉली क्रिस्टलाइन सोलर पैनल्स की लाइफटाइम मोनो क्रिस्टलाइन सोलर पैनल के मुकाबले कम होती है।
पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल की कीमत
पॉली क्रिस्टलाइन सोलर पैनल के लिए प्रति वाट क्षमता की कीमत 22 रूपए तक पड़ती है। हालांकि यह कीमत अलग अलग ब्रांड के लिए कम या ज्यादा भी हो सकती है। जबकि मोनो क्रिस्टलाइन सोलर पैनल्स की कीमत तकरीबन 30 रुपए प्रति वॉट तक जाती है।
मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल की क्षमता | कीमत (Price In India) |
---|---|
50 Watt Solar Panel | Rs. 1,500 |
100 Watt Solar Panel | Rs. 3,000 |
150 Watt Solar Panel | Rs. 4,500 |
200 Watt Solar Panel | Rs. 4,800 |
250 Watt Solar Panel | Rs. 6,000 |
300 Watt Solar Panel | Rs. 7,200 |
350 Watt Solar Panel | Rs. 8,000 |
Frequently Asked Questions
पॉली क्रिस्टलाइन सोलर पैनल सिलिकॉन की मदद बनाए गए मल्टी क्रिस्टल सोलर सेल से बने होते हैं।
मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल की ऊर्जा उत्पादक क्षमता पॉली क्रिस्टलाइन से ज्यादा होती है लेकिन यह काफी महंगे होते हैं जबकि पॉलीक्रिस्टल लाइन सोलर पैनल बड़े प्रोजेक्ट के लिए किफायती होता है।
पॉली क्रिस्टलाइन सोलर पैनल का जीवनकाल 20 वर्ष होता है। मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल के मुकाबले इन का जीवनकाल इसलिए कम होता है क्योंकि यह ताप प्रतिरोधी नहीं होते हैं।
दरअसल सिलिकॉन टुकड़ों द्वारा बने होने के कारण इन सोलर पैनल्स में इलेक्ट्रॉन प्रवाह के लिए जगह कम बस्ती है जिससे उनकी उत्पादन क्षमता घट जाती है।
दोस्तों में इस सोलर ब्लॉग का एडमिन हूँ, इस ब्लॉग पर में रोजाना सोलर पैनल, सोलर ऊर्जा, सोलर योजना और सोलर प्रोडक्ट्स से जुडी जानकारी शेयर करता हूँ।