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सोलर पैनल क्यों लगाना चाहिए?

भारत में सोलर पैनल का तेजी से उपयोग बढ़ रहा है। बढ़ते बिजली के दाम और बिजली कटौती की चिंता को हमेशा के लिए दूर करने के लिए सोलर पैनल सबसे बढ़िया विकल्प है। सौर पैनल की मदद से न केवल आप सूर्य ऊर्जा से बिजली हासिल कर सकते हैं, बल्कि आप बिजली बिल बचाकर पर्यावरण की भी मदद कर सकते हैं, और बहुत सारा पैसा भी बचा सकते हैं और अच्छा-खासा पैसा कमा भी सकते हैं। सरकार सौर पैनल का उपयोग बढ़ाने के लिए सब्सिडी योजनाएं भी लेकर आई है, जिनसे आप एक अच्छे दाम में सौर पैनल खरीद सकते हैं। 

सोलर पैनल के फायदे

बिजली बिल में कटौती

सोलर पैनल से मुफ्त में बिजली पैदा की जाती है। आपको केवल सोलर पैनल की स्थापना में पैसे लगाने होंगे, और आने वाले लगभग 25 सालों तक आपको मुफ्त में बिजली मिलेगी।

पैसे की बचत

सोलर पैनल लगाने के बाद, आपको पूरी तरह से सोलर ऊर्जा पर निर्भर रहना पड़ता है। इससे आपको भविष्य में बिजली बिल से राहत मिलती है और पैसे की काफी बचत होती है

पर्यावरण की मदत

सोलर पैनल लगाकर आप पर्यावरण की भी काफी मदद कर सकते हैं। सौर ऊर्जा से बिजली पैदा करने से पर्यावरण को किसी भी प्रकार की हानि नहीं होती है।

पैसे कमाने का अवसर

सोलर पैनल लगाने से यदि आप अतिरिक्त बिजली बनाते हैं, तो आप इसे अतिरिक्त बिजली को बेचकर आप लंबे समय तक अच्छा-खासा पैसा कमा सकते हैं।

ग्रामीण इलाके में बिजली

जिन ग्रामीण इलाकों में बिजली की समस्या अभी भी बनी हुई है, उन इलाकों में सोलर पैनल लगाकर इस परेशानी को हमेशा के लिए खत्म किया जा सकता है।

लंबी अवधि के लिए निवेश

सोलर पैनल लगाने में आप जो भी पैसा निवेश करते हैं, वह आपको आने वाले 5 से 6 सालों में वसूल हो जाएगा। पर आने वाले लगभग 20 साल आप मुफ्त में बिजली प्राप्त करेंगे।

सोलर पैनल सिस्टम के प्रकार

ऑन ग्रिड सोलर

ऑन-ग्रिड सोलर पैनल सिस्टम में, सोलर पैनल को सरकारी ग्रिड से जोड़ा जाता है। यह सोलर सिस्टम खास तौर पर ऐसे इलाके में लगाया जाता है जहां बिजली कटौती की कोई समस्या नहीं होती है। यदि आपके इलाके में बिजली चली जाती है, तो यह सोलर सिस्टम भी बंद हो जाएगा। इस सोलर सिस्टम का उपयोग करके बिजली बिल बचाया जा सकता है। इस सोलर सिस्टम में बैटरी का उपयोग नहीं होता है, और यह ऑफ-ग्रिड और हाइब्रिड सोलर पैनल सिस्टम की तुलना में सस्ता होता है।

ऑफ ग्रिड सोलर

ऑफ-ग्रिड सोलर पैनल सिस्टम एक ऐसा सोलर सिस्टम है जिसमें सूर्य ऊर्जा से निर्मित बिजली स्टोर करने के लिए बैटरी और इन्वर्टर की आवश्यकता होती है। यह सोलर सिस्टम आपको ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम के तुलना में थोड़ा महंगा पड़ सकता है, क्योंकि इसमें आपको अपने घर के लोड के अनुसार पूरी तरह से बैटरी पर निर्भर रहना पड़ता है। ऑफ-ग्रिड सोलर पैनल सिस्टम में आपको सरकारी ग्रिड पर निर्भर रहने की कोई आवश्यकता नहीं पड़ती, और आप खुद अपनी बिजली बना सकते हैं।

हाइब्रिड सोलर

हाइब्रिड सोलर पैनल सिस्टम ऑन-ग्रिड और ऑफ-ग्रिड सोलर पैनल सिस्टम को मिलाकर बनाया जाता है। यह सोलर सिस्टम सरकारी ग्रिड से भी जुड़ा होता है और इस सोलर सिस्टम में बैटरी का भी उपयोग किया जाता है। आपके इलाके में अगर बिजली चली जाती है, तो बैटरी के मदत से बिजली हासिल की जाती है। कीमत के मामले में, यह ऑन-ग्रिड और ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम की तुलना में काफी महंगा होता है। परंतु, इस सोलर सिस्टम के कई सारे फायदे भी हैं।

सोलर पैनल की कीमत

सोलर पैनल सब्सिडी योजना

सोलर पैनल सिस्टम के प्रकार

Frequently Asked Questions

सोलर पैनल एक ऐसा उपकरण है जो सूरज की रोशनी को विद्युत् बिजली में बदलता है, जिससे सभी विद्युत उपकरण चलाये जा सकते है।

सोलर पैनल का आविष्कार १८३९ में हुआ था, एडमंड बेक ने १८३९ में जब पहली बार सोलर सेल का आविष्कार किया था।

सोलर पैनल का खर्चा उसकी क्षमता और आपकी जरुरत पर निर्भर करता है, अगर आप 1 किलोवाट का सोलर पैनल खरीदते हो तो भारत में औसतन 40,000 से लेकर 80,000 तक का खर्चा आ सकता है।

सोलर सिस्टम के कुल 3 प्रकार है, ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम, ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम और हाइब्रिड सोलर सिस्टम।

फिलहाल मार्केट में सोलर पैनल के ३ प्रकार चल रहे है मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल, पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल, और थिन-फिल्म सोलर पैनल।

वैसे तो भारत में सोलर पैनल के काफी सारे ब्रांड मौजूद जैसे की वारी, टाटा, अडानी और काफी सारे पर भारत में लूम सोलर काफी ज्यादा पसंद किया जाता है

सोलर पैनल का सबसे ब्रांड कौनसा है यह बताना इतना आसान नहीं है, क्यूंकि मार्केट में सोलर पैनल के काफी सारे ब्रांड मौजूद है जैसे की टाटा, अदानी, वारी, विक्रम।