Types of Solar Panel in Hindi: विश्व में किसी एक ऊर्जा को मानव उपयोग में लाने के लिए उसको दूसरी ऊर्जा में बदलने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। मौजूदा समय की खपत को देखते हुए मानव जीवन में विद्युत ऊर्जा की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण हो गई है।
औद्योगिक क्षेत्र के साथ-साथ आजकल विद्युत ऊर्जा हर एक घर की जरूरत बन गई है। शुरुआती दौर में इसका उत्पादन कोयला पेट्रोल और डीजल जैसे संसाधनों से किया जाता था लेकिन आजकल के दौर में विद्युत ऊर्जा के उत्पादन के लिए सौर ऊर्जा सबसे कारगर साबित हो रही है।
एक तरफ जहां पेट्रोल डीजल और कोयला ऊर्जा के सीमित संसाधन है वहीं दूसरी तरफ सूर्य से मिलने वाली ऊष्मा तथा प्रकाश प्राकृतिक ऊर्जा का असीमित स्रोत हैं। इसलिए आज पूरी दुनिया सौर ऊर्जा से कम लागत में बिजली का उत्पादन कर रही है।
सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलने के लिए सोलर पैनल डिवाइस की जरूरत होती है। यही सोलर पैनल डिवाइस सौर ऊर्जा से मिलने वाली ऊष्मा व प्रकाश को अवशोषित करता है और फोटोइलेक्ट्रिक इफेक्ट की मदद से विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित कर देता है।
सोलर पैनल की मदद से कम लागत में ज्यादा इलेक्ट्रिसिटी उत्पादित की जा सकती है, और सबसे बड़ी बात यह भी है कि सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलने पर ज्यादा पर्यावरण प्रदूषण नहीं होता।
यह सोलर पैनल डिवाइस कई तरह के होते हैं। अलग-अलग सोलर पैनल डिवाइस की ऊर्जा उत्पादक क्षमता और खूबियां अलग-अलग होती हैं। आज इस लेख में हम सोलर पैनल डिवाइस के विभिन्न प्रकार के बारे में जानेंगे ताकि हम यह आकलन कर सकें कि हमारी जरूरत के हिसाब से कौन सा पैनल सबसे ज्यादा कारगर है।
सोलर पैनल के प्रकार (Types Of Solar Panel)
अपनी बनावट और कार्य क्षमता के आधार पर सोलर पैनल मुख्यतः चार तरह के होते हैं। इन चारों सोलर पैनल्स की कार्य क्षमता और लागत एक दूसरे से काफी अलग होती है।
मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल (Mono Crystalline Solar Panel)
मोनो क्रिस्टलाइन सोलर पैनल सबसे बेहतरीन तकनीक का इस्तेमाल करके बनाए गए सोलर पैनल हैं। ऊर्जा उत्पादन क्षमता अर्थात एफिशिएंसी को देखते हुए यह सोलर पैनल सभी पारंपरिक सोलर पैनल्स की तुलना में सबसे बेहतर है।
मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल्स सिलिकॉन उपधातु की मदद से बनाए जाते हैं, जिनकी बनावट में सिलिकॉन का केवल सिंगल और शुद्ध क्रिस्टल इस्तेमाल किया जाता है।
आमतौर पर मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल्स में बेलनाकार सिंगल क्रिस्टल सिलिकॉन लगाए जाते हैं ताकि उपधातु की शुद्धि साथ-साथ उसकी गुणवत्ता बनी रहे। मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल्स का किनारा गोलाकार होता है।
यह साइज में भी काफी एडजेस्टेबल होते हैं, जिसकी वजह से छत पर इन्हें कम जगह में भी इंस्टॉल किया जा सकता है। यह सोलर पैनल पूरी तरह से काला रंग का होता है जिसकी वजह से यह पैनल ज्यादा मात्रा में सूर्य के प्रकाश का शोषण कर सकता है।
अब बात आती है दक्षता की, किसी सोलर पैनल की दक्षता या एफिशियंसी उसकी ऊर्जा उत्पादन क्षमता होती है। यह सोलर पैनल अन्य सोलर पैनलों के मुकाबले ज्यादा ऊर्जा उत्पादन क्षमता अर्थात दक्षता वाले होते हैं। मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल में 22% तक की दक्षता होती है।
केवल इतना ही नहीं इनकी ताप प्रतिरोधक क्षमता भी काफी ज्यादा होती है जिसकी वजह से यह ज्यादा टेंपरेचर में भी बेहतरीन कार्य क्षमता प्रस्तुत करते हैं।
हालांकि मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल सभी सोलर पैनल्स की तुलना में सबसे ज्यादा महंगे हैं क्योंकि इनकी दक्षता सबसे ज्यादा होती है। एक बढ़िया और टिकाऊ सोलर पैनल खरीदते वक्त लागत से ज्यादा उसकी दक्षता देखनी चाहिए।
पॉली क्रिस्टलाइन सोलर पैनल (Poly Crystalline Solar Panel)
पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल भी सिलिकॉन उपधातु द्वारा ही बनाए जाते हैं। लेकिन इनकी बनावट में सिलिकॉन क्रिस्टल के टुकड़ों का इस्तेमाल किया जाता है।
पॉली क्रिस्टलाइन सोलर पैनल्स के किनारे चौकोर होते हैं, जबकि इनका रंग हल्का नीला होता है। पॉली क्रिस्टलाइन सोलर पैनल अशुद्ध सिलिकॉन टुकड़ों से बनाए जाने की वजह से कम दक्षता वाले होते हैं। हालांकि इनकी कीमत बहुत ज्यादा किफायती होती है यही कारण है कि सोलर पैनल्स के मामले में इनकी लोकप्रियता सबसे ज्यादा है।
अगर ऊर्जा उत्पादन क्षमता की बात की जाए तो यह पैनल्स लगभग 17% तक की दक्षता से ऊर्जा का उत्पादन करते हैं।
PERC सोलर पैनल (Passivated Emitter Rear Cell Solar Panel)
PERC सोलर पैनल की तकनीक मोनोक्रिस्टलाइन तथा पॉली क्रिस्टलाइन सोलर पैनल्स के मुकाबले ज्यादा एडवांस होती है क्योंकि इनकी बनावट में एक अतिरिक्त परत जोड़ी जाती है जिसे डाई इलेक्ट्रिक परत बोलते हैं। इस परत की खास बातें है कि, PERC सेल से गुजरने वाले ऊर्जा फोटॉन जब इस परत से टकराते हैं तो पुनः पैनल में लौट जाते हैं।
इस PERC अतिरिक्त परत की वजह से सोलर पैनल ज्यादा सौर ऊर्जा का अवशोषण करते हैं जिसकी वजह से उनकी उत्पादन क्षमता बढ़ जाती है। ज्यादा दक्षता होने के कारण PERC सोलर पैनल मोनोक्रिस्टलाइन और पॉलीक्रिस्टलाइन से बहुत ज्यादा महंगे होते हैं।
बायफेशियल सोलर पैनल (Bifacial Solar Panel)
बाईफेशियल सोलर पैनल्स की तकनीकी परंपरागत पैनल की तुलना में सबसे ज्यादा एडवांस होती है। यह सबसे उच्च गुणवत्ता वाले सोलर पैनल्स होते हैं। इन सोलर पैनल्स का अगला और पिछला भाग मिलकर सौर ऊर्जा का अवशोषण करता है जिसकी वजह से वह ऊर्जा उत्पादन की क्षमता बढ़ जाती है।
एक तरफ सोलर पैनल का अगला हिस्सा सूर्य की आपतित किरणों को अवशोषित करता है और ऊर्जा का उत्पादन करता है, तो वहीं दूसरी तरफ इसका पिछला भाग परावर्तित सेल द्वारा परावर्तित हुए सौर किरणों का अवशोषण करता है तथा विद्युत ऊर्जा का उत्पादन करता है। इनकी दक्षता तकरीबन 30% तक होती है।
दोनों तरफ से विद्युत ऊर्जा का उत्पादन करने के कारण बाय फेशियल सोलर पैनल्स की दक्षता PERC, मनोक्रिस्टलाइन और पॉली क्रिस्टलाइन सोलर पैनल की अपेक्षा सबसे ज्यादा होती है। ज्यादा दक्षता के साथ-साथ यह कीमत में भी अन्य सभी सोलर पैनल से महंगे होते हैं।
Frequently Asked Questions
सोलर पैनल्स मुख्यतः चार प्रकार के होते हैं मोनोक्रिस्टलाइन पॉली क्रिस्टलाइन, PERC सोलर पैनल और बाईफेशियल सोलर पैनल।
पॉली क्रिस्टलाइन सोलर पैनल्स सबसे सस्ते और किफायती होते हैं। इनकी कीमत केवल 20 से 25 रुपए प्रति वॉट तक होती है।
बायफेशियल पैनल सबसे ज्यादा दक्षता वाले सोलर पैनल्स होते हैं। उनकी दक्षता तकरीबन 30% तक होती है।
आमतौर पर सभी सोलर पैनल सिलिकॉन उपधातु क्रिस्टल का इस्तेमाल करके बनाए जाते हैं।
दोस्तों में इस सोलर ब्लॉग का एडमिन हूँ, इस ब्लॉग पर में रोजाना सोलर पैनल, सोलर ऊर्जा, सोलर योजना और सोलर प्रोडक्ट्स से जुडी जानकारी शेयर करता हूँ।