दोस्तों, मौजूदा समय में सोलर पैनल की चर्चा चारों तरफ तेजी से बढ़ रही है। राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार सोलर पैनल को लेकर कई सारी योजनाएं चला रही हैं। ऐसे में इसका प्रचलन समय के साथ और भी तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिन्हें आज तक सोलर पैनल का सिर्फ नाम पता है, पर solar panel kya hai इसके बारे में बिलकुल भी पता नहीं है।
ऐसे में हमने सोचा कि क्यों न इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको सोलर पैनल क्या है, और सोलर पैनल कैसे बनता है, इसके बारे में विस्तार से बताएं। साथ ही हम आपको सोलर पैनल से जुड़ी हर एक बात विस्तार से बताने वाले हैं। तो चलिए इस आर्टिकल में आगे बढ़ते हैं और सोलर पैनल क्या है, और सोलर पैनल कैसे बनता है, इसके बारे में जानते हैं।
सोलर पैनल क्या है?
सोलर पैनल सोलर सेल के समूह से बनाया जाता है। एक सोलर पैनल में कई सारे छोटे-छोटे सोलर सेल होते हैं। सोलर पैनल बनाने के लिए कई सारे सोलर सेल को एक साथ मिलाया जाता है। सोलर पैनल सूर्य की ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में बदलता है। अधिकतर समय एक सोलर पैनल बनाने के लिए 60 या 72 सोलर सेल का इस्तेमाल किया जाता है।
सोलर सेल सिलिकॉन से बनाया जाता है, और इन्ही छोटी-छोटी सिलिकॉन की परतों को फोटोवोल्टिक सेल भी कहा जाता है। जब इन सोलर सेल पर सूर्य की किरणें पड़ती हैं, तब वे गर्म हो जाते हैं और इनमें मौजूद इलेक्ट्रॉन गति करने लगते हैं। इलेक्ट्रॉन की गति से बिजली का प्रभाव शुरू होता है और बिजली बनती है।
सोलर पैनल का महत्व
वहीं अगर सोलर पैनल के महत्व की बात करें तो सबसे पहले यह एक रिन्यूएबल सोर्स एनर्जी है जो कभी खत्म नहीं होने वाला है। इसका इस्तेमाल हम हमेशा कर सकते हैं। सोलर पैनल के मदद से हम फॉसिल फ्यूल यानी जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल कम करते हैं, जिससे हमारे पर्यावरण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इसके साथ ही यह हमें बिजली बचाने में भी काफी मदद करता है। कोई भी व्यक्ति सोलर पैनल का इस्तेमाल करके अपने बिजली बिल को कम कर सकता है।
सोलर पैनल के फायदे
सोलर पैनल के फायदे की अगर बात करे तो इसके एक नहीं बल्कि अनेक फायदे हैं। सोलर पैनल एकमात्र ऐसा उपकरण है जो सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है। सोलर पैनल से उत्पादित बिजली से पर्यावरण को कोई हानि नहीं पहुंचती है। सोलर पैनल लगाने या इस्तेमाल करने के लिए आपको एक बार ही पैसे खर्च करने की जरूरत होती है, जिसके बाद आप इसके द्वारा उत्पादित बिजली का इस्तेमाल हमेशा कर सकते हैं।
सोलर पैनल से उत्पादित बिजली की कीमत दूसरे माध्यम से काफी सस्ती होती है। सोलर पैनल की उम्र 25 वर्ष तक होती है, जिससे आप इसे एक बार लगाकर 25 सालों तक इस्तेमाल कर सकते हैं। सोलर पैनल का इस्तेमाल घर, ऑफिस, फैक्ट्री आदि सभी जगह पर किया जा सकता है।
सोलर पैनल उन जगहों की लिए सबसे लाभदायक है जहा बिजली का कोई कनेक्शन ही नहीं है। आपको सोलर पैनल के जरिये बिजली प्राप्त करने के लिए मात्र सूर्य उगने की आवश्यकता होती है।
सोलर पैनल के जरिये मिलने वाले और भी कई सारे फायदे है, जिनके बारे में हमने एक पूरा आर्टिकल लिखा है आप उसे भी पढ़ सकते है।
सोलर पैनल कैसे बनाया जाता है?
सोलर पैनल बनाने के लिए सोलर सेल का इस्तेमाल किया जाता है। सोलर सेल सिलिकॉन से बनते हैं। सिलिकॉन बनाने के लिए समुद्री तट के रेत को अधिक तापमान पर गर्म किया जाता है, जिसके बाद उच्च गुणवत्ता वाले सिलिकॉन बनते हैं। इसके अलावा, चट्टानों में भी सिलिकॉन पाया जाता है।
सिलिकॉन के पिंड को बहुत पतले टुकड़ों में काटा जाता है, जिन्हें वेफर्स भी कहा जाता है। शुद्ध सिलिकॉन स्वाभाविक रूप से काफी चमकदार होता है, जो सूरज की रोशनी को परिवर्तित करता है। इसके बाद सिलिकॉन वेफर्स पर एक एंटी रिफ्लेक्टिव कोटिंग लगाई जाती है, जिसके बाद सोलर सेल बनकर तैयार हो जाता है।
अब सोलर पैनल बनाने के लिए सोलर सेल के ऊपर मेटल के कंडक्टर का इस्तेमाल किया जाता है, जो बिजली को इकट्ठा करते हैं। सोलर पैनल बनाने के लिए 46, 60 या 72 सोलर सेल को एक साथ जोड़ा जाता है। इसके ऊपर 6 से 7 mm की कांच की परत लगाई जाती है। नीचे के तरफ पॉलीमर का इस्तेमाल किया जाता है जो इसे धूल, मिट्टी और पानी से सुरक्षित रखता है। इस प्रकार ही कई सोलर सेल को जोड़कर सोलर पैनल बनाया जाता है।
सोलर पैनलों के मुख्य घटक क्या हैं?
सौर पैनल बनाने के लिए कई अलग-अलग प्रकार के घटकों का इस्तेमाल किया जाता है। इनमें से प्रत्येक घटक पैनल के संचालन और प्रदर्शन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यहां कुछ मुख्य घटक हैं:
सोलर सेल: यह पैनल का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है जो सूर्य की किरणों को बिजली में बदलता है।
सोलर पैनल ग्लास: यह सोलर पैनल को सुरक्षित रखने के लिए बनाया जाता है और इसे पानी, धूप और तेज हवाओं से बचाता है।
सोलर पैनल इनकैप्सुलेशन फिल्म: यह फिल्म पैनल की आंतरिक संरचना को प्राथमिक रूप से बनाए रखने के लिए होती है।
सोलर पैनल बैकशीट/बैक ग्लास: यह पैनल का पिछला हिस्सा है जो इसे पीछे से सुरक्षित रखता है।
सोलर पैनल फ्रेम: यह पैनल को एक जगह और मजबूत रखने में मदद करता है।
सोलर पैनल जंक्शन बॉक्स (जे-बॉक्स): यह बॉक्स विद्युत कनेक्शन के लिए महत्वपूर्ण है, जो पैनल से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा को संग्रहित करता है और इसे अन्य उपकरणों में भेजता है।
इन्हीं सभी घटकों को मिलाकर सौर पैनल बनाया जाता है जो सौर ऊर्जा का संचय करने में मदद करता है।
सोलर पैनल कितने प्रकार के होते है?
बहुत से लोगों के मन में यह सवाल होता है कि सोलर पैनल कितने प्रकार के होते हैं। कुछ लोगों को यह लगता है कि यह सिर्फ एक प्रकार का होता है। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है, सोलर पैनल तीन प्रकार के होते हैं:
On Grid Solar System: यह सोलर पैनल बिजली ग्रिड से जुड़ा होता है और बिजली का उत्पादन करता है। जब घर में बिजली की आवश्यकता होती है, तो यह बिजली ग्रिड से बिजली लेता है। जब घर में बिजली की आवश्यकता नहीं होती है, तो यह बिजली ग्रिड को बिजली वापस भेजता है।
Off Grid Solar System: यह सोलर पैनल बिजली ग्रिड से जुड़ा नहीं होता है। यह बैटरी में बिजली का उत्पादन और भंडारण करता है। जब घर में बिजली की आवश्यकता होती है, तो यह बैटरी से बिजली लेता है।
Hybrid Solar System: यह सोलर पैनल On Grid Solar System और Off Grid Solar System का मिश्रण होता है। यह बिजली ग्रिड और बैटरी दोनों से बिजली का उत्पादन और भंडारण करता है।
निष्कर्ष:
समय के साथ-साथ सोलर पैनल का प्रचलन काफी तेजी से बढ़ रहा है। लोग इसके बारे में धीरे-धीरे जानने लगे हैं, और आने वाले समय में इसका इस्तेमाल काफी ज्यादा होने वाला है। अगर आप भी सोलर पैनल के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो ऊपर दिए गए लेख को ध्यान से पूरा पढ़ें। इस लेख में हमने सोलर पैनल क्या है? सोलर पैनल कैसे बनता है जैसी सारी बातों को बताया है। उम्मीद है कि यह लेख आपको पसंद आया होगा। इसे पढ़ने के लिए धन्यवाद।
दोस्तों में इस सोलर ब्लॉग का एडमिन हूँ, इस ब्लॉग पर में रोजाना सोलर पैनल, सोलर ऊर्जा, सोलर योजना और सोलर प्रोडक्ट्स से जुडी जानकारी शेयर करता हूँ।